माय फ्रेंड एंड अदर एनिमल्स

हाई स्कूल के समय मेरा रुझान पर्यावरण की और हुआ जो हायर सेकंडरी मे आकर और अधिक बढ़ गया। दीपक के आने के बाद ये रूचि और विस्तृत हुई क्योंकि जंतु जगत से मेरा परिचय उसी ने कराया था। दीपक की इन चीजो मे काफी रूचि थी। दीपक जीवो के बारे मे उस समय हमसे कहीं अधिक जानता था। उसने मुझे केचुओं के बारे मे बताया की ये किस तरह जमीन के भीतर रहकर मिट्टी खाते है और उसे ह्यूमस मे बदलते है। बारिश के दिनों मे हमारे बंगले के बगल वाली जगह मे ढेरो केचुएं मिलते थे जिन्हें दीपक, सुमित और मैं मिलकर पकड़ा करते थे। उस गीलगीले जीव को पहली बार हाथ मे लेने पर झिझक आई लेकिन जीव प्रेम से ये अनुभव आसान रहा। इसके बाद तो केचुएं मानो हमारे दोस्त बन गए हो! वहां सबसे बड़ा केचुआं लगभग 15 सेंटीमीटर से भी लंबा रहा होगा जो एक शाम को क्यारी मे रेंगता हुआ मिला।

दीपक ने एक प्लास्टिक के डिब्बे मे तितलियों के लार्वा रखे थे जिनमे से कुछ ने डिब्बे के ढक्कन पर प्यूपा लटका रखा था। ये मेरा पहला अनुभव था जब मैने इस तरह की चीज देखी। दीपक ने  अपनी छत पर लगे अकाव के पत्तो के नीचे लटके और भी प्यूपा दिखाए तब मैंने जाना कि तितली मे रूपांतरण की चार अवस्थाये होती है जो अंडो, कैटरपिलर, प्यूपा और वयस्क अवस्था मे होती है।

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