...एक सर्द शाम
एक सर्द शाम की
धुंधलायी सी रोशनी;
और एक पुराना ख्याल।
एक वाकया,
जो अचानक ही कही से
आखों के सामने आ कर चला जाता है।
यादों की एक पगडंडी की तरह,
बढते चले जाता हूँ
उन पुरानी बातों की
उधेड़ बुन में
उन खयालो में
जिनका तब भी कोई वजूद नहीं था और अब भी नही।
धुंधलायी सी रोशनी;
और एक पुराना ख्याल।
एक वाकया,
जो अचानक ही कही से
आखों के सामने आ कर चला जाता है।
यादों की एक पगडंडी की तरह,
बढते चले जाता हूँ
उन पुरानी बातों की
उधेड़ बुन में
उन खयालो में
जिनका तब भी कोई वजूद नहीं था और अब भी नही।
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