पारिजात

'पारिजात, तूम अब भी स्मृतियों में ठीक उसी तरह मेरे मन को प्रफुल्लित करते हो जैसे रात्रि के अंतिम पहर में तुम फूलो से मेरे आँगन को अपनी सुगंध से भर दिया करते थे...

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