'पारिजात, तूम अब भी स्मृतियों में ठीक उसी तरह मेरे मन को प्रफुल्लित करते हो जैसे रात्रि के अंतिम पहर में तुम फूलो से मेरे आँगन को अपनी सुगंध से भर दिया करते थे...
हाई स्कूल के समय मेरा रुझान पर्यावरण की और हुआ जो हायर सेकंडरी मे आकर और अधिक बढ़ गया। दीपक के आने के बाद ये रूचि और विस्तृत हुई क्योंकि जंतु जगत से मेरा परिचय उसी ने कराया था। ...
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